
जगदलपुर। राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति ने बस्तर को अब उस मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां डर की पहचान पीछे छूट चुकी है और विकास की नई पहचान गढ़ी जा रही है। कभी माओवादियों के डर से निवेश और विकास के दरवाजे बंद दिखाई देते थे, वह बस्तर अब औद्योगिक भविष्य की उड़ान भरने को तैयार है।
बंदूक के साये से निकलकर औद्योगिक बाजार की ओर की यात्रा की शुरुआत गुरुवार को बस्तर के होटल एंबीशन में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की ओर से आयोजित ”बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट” से हुई, जहां 967 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिसमें बस्तर के कई युवाओं ने नव उद्यमी बनने की ओर पहला कदम बढ़ाया तो बस्तर के बाहर से आए उद्यमियों ने बस्तर में निवेश करने में रुचि दिखाई है।
बस्तर में उज्ज्वल भविष्य की गाथा: सीएम साय
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि ‘बस्तर की समृद्धि प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की गाथा लिखेगी।’ उन्होंने विश्वास जताया कि मार्च 2026 तक माओवाद की बची-खुची छाया भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और यह क्षेत्र निवेशकों की पहली पसंद बनेगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जापान, दक्षिण कोरिया और महानगरों के बाद अब बस्तर में इन्वेस्टर कनेक्ट आयोजित कर औद्योगिक विकास का नया अध्याय शुरू हुआ है।
नई औद्योगिक नीति से 6.65 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। एक्सप्रेसवे, रेलमार्ग, एयरपोर्ट व औद्योगिक क्षेत्रों से बस्तर उद्योग हब बनेगा।
वाणिज्य मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि नई नीति निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक और लाभकारी है और निश्चित ही निवेशक बस्तर में आने उत्सुक होंगे।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बीजापुर में पहली राइस मिल और जगरगुंडा में इमली मंडी शुरू होने की जानकारी दी।
वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि माओवाद का खात्मा और प्रदेश सरकार की नई औद्योगिक नीति बस्तर को उद्योगों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र बना देगी।
कार्यक्रम में 34 उद्योगों को प्रोत्साहन प्रमाणपत्र दिए गए और वाणिज्य विभाग के सचिव रजत कुमार ने निवेशकों के लिए ‘इंसेंटिव कैलकुलेटर’ जैसी डिजिटल व्यवस्था की शुरुआत की।